गौतम अडानी अपने कारोबार का विस्तार कर रहे हैं और अलग-अलग सेक्टर में निवेश कर रहे हैं. उन्होंने अगले 28 महीनों में 33 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च करने का प्लान बनाया है, जहां वह एक ऐसे सेक्टर का पेट भरेंगे, जिसकी डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर है. जी हां अडानी ग्रुप दिसंबर, 2026 तक चार अरब अमेरिकी डॉलर की पॉलिविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) प्रोजेक्ट के पहले फेज को चालू करने के साथ पेट्रो कैमिकल सेक्टर में उतरेगा. सूत्रों ने कहा कि यह सेक्टर ऐसा है जिसमें घरेलू डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर है.
कितनी है भारत में डिमांड
पॉलिविनाइल क्लोराइड (पीवीसी)- दुनियाभर में बनाया जाने वाला तीसरा सबसे सामान्य सिंथेटिक प्लास्टिक पॉलिमर है. इसका उपयोग रेनकोट, शॉवर कर्टेन, खिड़की के फ्रेम, इनडोर प्लंबिंग के लिए पाइप, चिकित्सा उपकरण, तार और केबल इन्सुलेशन, बोतल, क्रेडिट कार्ड और फ्लोरिंग जैसे उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है. भारत की सालाना पीवीसी मांग लगभग 40 लाख टन है लेकिन घरेलू उत्पादन क्षमता केवल 15 लाख टन है. इस वजह से मांग और आपूर्ति में काफी अंतर रहता है. खपत बढ़ने के साथ यह अंतर और बढ़ेगा. अडानी ग्रुप इस क्षेत्र में उतरकर लाभ उठाना चाहता है.
यहां बनेगा प्लांट
ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज गुजरात के मुंदड़ा में एक पेट्रोकैमिकल क्लस्टर स्थापित कर रही है. मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि कंपनी का इरादा इस क्लस्टर के अंदर 20 लाख टन सालाना क्षमता वाला पीवीसी प्लांट लगाने का है. इस प्लांट को कई फेज में स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसका शुरुआती चरण दिसंबर, 2026 तक चालू होने की उम्मीद है. इस दौरान प्लांट की उत्पादन क्षमता सालाना 10 लाख टन की होगी.
बंद करना पड़ा था प्रोजेक्ट
ग्रुप ने पिछले साल मार्च में इस परियोजना को रोक दिया था. समूह ने कहा था कि वित्तीय संसाधन जुटने तक उसने प्रमुख उपकरण खरीद और साइट निर्माण गतिविधियों को बंद करने का फैसला किया है. इसके बाद अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में अदाणी समूह की कंपनियों पर वित्तीय और लेखांकन धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि, अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था लेकिन यह रिपोर्ट आने के बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी.
एसबीआई कंसोर्टियम कर रहा फाइनेंस
इसके बाद ग्रुप ने वापसी के लिए रणनीति बनाई. इसके तहत उसने इक्विटी के रूप में पांच अरब डॉलर और कर्ज के रूप में इससे दोगुनी राशि जुटाई. साथ ही उसने अपने कुछ कर्ज का भु्गतान किया. बाजार का भरोसा फिर कायम होने के बाद अडानी ग्रुप ने पेट्रोकैमिकल प्लांट पर काम फिर शुरू किया. सूत्रों ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में लेंडर्स का कंसोर्टियम इस प्रोजेक्ट का फाइनेंस कर रहा है.
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