Bacchon Ke Liye 15 August Par Kavita हम नन्ने मुन्ने बच्चे है, दांत हमारे कच्चे है, हम भी सरहद जायेंगे, सीने पे गोली खाएंगे, मर जायेंगे मिट जायेंगे, देश की शान बढ़ाएंगे, देश की शान बढ़ाएंगे। 15 August Par Desh Bhakti Kavita हाँ मैं इस देश का वाशी हूँ, इस मिट्टी का कर्ज चुकाऊंगा, जीने का दम


Bacchon Ke Liye 15 August Par Kavit

हम नन्ने मुन्ने बच्चे है,
दांत हमारे कच्चे है,
हम भी सरहद जायेंगे,
सीने पे गोली खाएंगे,
मर जायेंगे मिट जायेंगे,
देश की शान बढ़ाएंगे,
देश की शान बढ़ाएंगे।

15 August Par Desh Bhakti Kavita

हाँ मैं इस देश का वाशी हूँ,
इस मिट्टी का कर्ज चुकाऊंगा,
जीने का दम रखता हूँ,
तो इसके लिए मरकर भी दिखलाऊंगा,
नजर उठा के देखना ऐ दुश्मन मेरे देश को,
मरूंगा मैं जरूर पर तुझे मारकर ही मरूंगा,
कसम मुझे इस मिट्टी की,
कुछ ऐसा मैं कर जाऊंगा,
हाँ मैं इस देश का वाशी हूँ,
इस माटी का कर्ज चुकाऊंगा।

हम बच्चे आजाद देश के,
ऐसा कुछ कर जायेंगे,
हमें भी लोग युगो युगो तक याद रख पाएंगे,
जन्म लिया इस पावन धरती पर,
इस धरती का कर्ज चुकाएंगे,
नया प्रकाश नयी रौशनी चारों और फैलाएंगे,
हम बच्चे आजाद देश के,
स्वतंत्र भारत में हमने जन्म लिया,
नहीं भूले हम क़ुरबानी जिन्होंने हमें आजाद किया,
उनकी क़ुरबानी व्यर्थ जाने न देंगे,
हर सपना साकार कर दिखाएंगे,
भर्ष्टाचार, गरीबी को मिटा कर,
देश को तरक्की की राग पर ले जायेंगे,
जाति-पाति का बंधन तोड़कर भेद भाव का फर्क मिटायेंगे।

 

आजादी की खुली हवा में,
हम निकले सीना तान के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
हम जिस मिट्टी के अंकुर है,
उसकी शान निराली है,
उसके खेतों में सोना,
बागों में हरियाली है,
धन दौलत से ज्यादा ऊँचे,
रिश्ते माँ संतान के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
हवा हमारी धुप हमारी,
नीर हमारा पावन है,
तन मन जिसके सौ बसंत से,
मन हरियाला सावन है,
भारत माँ के बेटे बेटी,
जीते है हम शान से,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
सत्य अहिंसा पर आधारित,
मौलिक धर्म हमारा है,
परहित सच्चा धर्म है भाई,
यही हमारा नारा है,
पथ कोई हो विधि कोई हो,
बलिहारी भगवन के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
आजादी की खुली हवा में,
हम निकले सीना तन के,
हम बच्चे हिंदुस्तान के,
हम बच्चे हिन्दुस्थान के।

 

कस ली है कमर अब तो,
कुछ करके ही दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे,
या सर ही कटा देंगे,
हटेंगे नहीं कभी पीछे,
डरकर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे,
हम पैर बढ़ा देंगे,
बेशस्त्र नहीं हैं हम,
बल है हमें चरखे का,
चरखे से जमीं को हम,
ता चर्ख़ गुंजा देंगे,
परवाह नहीं कुछ दम की,
ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर,
एक दम में गंवा देंगे,
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम,
हम सर को झुका देंगे,
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें,
हम सीना अड़ा देंगे,
दिलवाओ हमें फांसी,
ऐलान से कहते हैं,
खून से ही हम शहीदों के,
फ़ौज बना देंगे,
मुसाफ़िर जो अंडमान के,
तूने बनाए, ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर,
हम उनको बुला लेंगे।

15 August

हम आजाद हुए लड़कर पर,
आजादी के बाद भी लड़ रहे है,
पहले अंग्रेजो से लड़े थे,
अब अपनों से लड़ रहे है,
आजादी से पहले कितने ख्वाब,
आँखों में संजो रखे थे,
अब आजादी के बाद वो ख्वाब,
ख्वाब ही रह गए है,
अब तो अंग्रेजी राज और
इस राज में फर्क न लगे,
पहले की वह बद स्थिति,
अब बदतर हो गई हैं।

स्वतंत्रता दिवस पर दिल को छु जाने वाली कविता

होठों पे सच्चाई रहती है,
जहां दिल में सफ़ाई रहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है,
मेहमान जो हमारा होता है,
वो जान से प्यारा होता है,
ज्यादा की नहीं लालच हमको,
थोड़े मे गुजारा होता है,
बच्चों के लिए जो धरती माँ,
सदियों से सब कुछ सहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।

कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं,
इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरब वाले,
हर जान की कीमत जानते हैं
मिलजुल के रहो और प्यार करो,
एक चीज़ यही जो रहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।

जो जिससे मिला सिखा हमने,
गैरों को भी अपनाया हमने,
मतलब के लिये अंधे होकर,
रोटी को नही पूजा हमने,
अब हम तो क्या सारी दुनिया,
सारी दुनिया से कहती है,
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

ये थी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त की कविता हिंदी में।

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