सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन कानून पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई. अब इस पर अदालत 5 मई को अगली सुनवाई करेगी. तब तक केंद्र सरकार विवादित प्रावधानों पर अदालत के सामने 7 दिन के भीतर जवाब दाखिल करेगी.


वक्फ कानून की संवैधानिकता पर आज सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई करीब आधे घंटे चली. सुनवाई के दौरान ऐसा लगा जैसे मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच अंतरिम आदेश देने के ही इरादे से बैठी थी. लेकिन फिर आदेश वाली बातों पर सरकार ही की तरफ से आश्वासन आ गया. लिहाजा, अदालत ने अपनी तरफ से कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया. बावजूद इसके, याचिकाकर्ताओं और मुस्लिम पक्ष को कुछ दिन के लिए ही सही पर आज एक बड़ी राहत मिली है. आइये जानें कैसे.

 

कैसे मुस्लिम पक्ष को मिली राहत

दरअसल, केंद्र सरकार ने कोर्ट को ये भरोसा दिया कि वक्फ संशोधन कानून के कुछ विवादित प्रावधानों को अदालत की अगली सुनवाई यानी 5 मई तक लागू नहीं किया जाएगा. इन प्रावधानों में सबसे अहम था कि वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर-मुसलमानों की नियुक्ति नहीं होगी. दूसरा – ऐसी संपत्ति जिसको अदालत ने वक्फ घोषित कर रखा है, उनके वक्फ के दर्जे में भी फिलहाल के लिए कोई बदलाव नहीं होगा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के सामने ये आश्वासन सरकार के प्रतिनिधि – सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिया.

मेहता ने अदालत से ये भी कहा कि नए कानून का बचाव करने वालों को 7 दिन का समय दिया जाना चाहिए, जिससे वे याचिकाकर्ता और अदालत की तरफ से उठाए गए सवालों का जवाब दे सकें. मेहता ने भरोसा दिया कि तब तक नए कानून के तहत बोर्ड या फिर काउंसिल में न तो कोई नियुक्ति होगी. ना ही वक्फ की वैसी संपत्ति जिसे नोटिफाई या फिर गैजेट किया जा चुका है, उनकी मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव होगा. सबसे अहम सरकार का अदालत से ये कहना था कि ‘वक्फ बाय यूजर’ वाली वक्फ संपत्तियों की यथास्थिति भी बरकरार रहेगी.

 

इस आश्वासन के बाद अदालत ने सरकार को सात दिन का समय दे दिया. इन सात दिनों के भीतर सरकार अदालत के सामने ये जवाब देगी कि वक्फ संशोधन कानून के प्रावधानों पर क्यों न रोक लगाई जाए. सरकार के जवाब दाखिल करने के पांच दिनों के भीतर याचिकाकर्ता भी अपना जवाब इस मुद्दे पर दाखिल करेंगे.इस मामले में याचिका दायर करने वाले नए संशोधन को पूरी तरह संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं. अदालत ने आज ये भी साफ किया है कि 5 मई को जब वो सुनवाई के लिए बैठेगी तो उस दिन अंतरिम आदेश या फिर दिशानिर्देश पर विचार करेगी.

पहले दिन की सुनवाई का निचोड़

16 अप्रैल – बुधवार यानी कल इस विषय पर पहली सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत दे दिया था कि वो वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा सकता है. जिसके बाद सरकार ने मामले को आज की सुनवाई तक टालने को कहा. अदालत का कल केंद्र सरकार से किया गया ये सवाल काफी अहम था कि जिस तरह वो वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर-मुसलमान सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान ले आई है, वो हिंदू समुदाय के धार्मिक ट्रस्ट में मुसलमान या फिर गैर हिंदू को भी जगह देने पर विचार कर रही है क्या.

इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकील पेश हो रहे हैं. इन वकीलों ने नए कानून के जरिये ‘वक्फ बाय यूजर’ के सिद्धांत को खत्म करने, सरकारी अफसर को संपत्ति का मालिकाना हक तय करने की ताकत देने, सेंट्रल वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर-मुसलमान सदस्यों को शामिल करने और धार्मिक मामलों को मैनेज करने को लेकर हासिल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने की दलीलें अदालत के सामने रखी हैं. वहीं, सरकार ने प्रावधानों को संविधान के हिसाब से दुरुस्त बताते हए संशोधन का बचाव किया है.

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