Bihar News : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में विपक्ष जिन सवालों को लेकर उतर सकता है, एक तरह से उसका जवाब चुनावी साल का बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 लेकर आया है। इसमें बताया गया है कि बिहार किन-किन क्षेत्रों में कैसे झंडे गाड़ रहा है।
Bihar News : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में विपक्ष जिन सवालों को लेकर उतर सकता है, एक तरह से उसका जवाब चुनावी साल का बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 लेकर आया है। इसमें बताया गया है कि बिहार किन-किन क्षेत्रों में कैसे झंडे गाड़ रहा है।
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 विधान मंडल में पेश किया गया।
बिहार विधानमंडल का बजट सत्र शुक्रवार 28 फरवरी को शुरू हुआ। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का अभिभाषण हुआ। इसके बाद वित्त विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान- बिहार लोक वित्त एवं नीति संस्थान की ओर से तैयार किया गया बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया गया। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव है और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के लिए यह सर्वे रिपोर्ट एक तरह से विपक्ष के आरोपों का जवाब भी है। इस रिपोर्ट में बिहार का विकास दिखाया गया है। उद्योग से लेकर वित्त-व्यवस्था तक में।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद : 2011-12 के मुकाबले साढ़े तीन गुना बढ़ी अर्थव्यवस्था आर्थिक सर्वेक्षण के 19वें संस्करण की इस रिपोर्ट ने वित्तीय वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष के रूप में लिया है और दिखाया है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद में बिहार ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। बिहार की अर्थव्यवस्था 2011-12 में जहां 2.47 लाख करोड़ थे, वहीं 2023-24 में 8.54 लाख करोड़ हो चुकी है। यह करीब साढ़े तीन गुना बढ़ी है।
कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों की प्रगति दिखा रही रिपोर्ट सर्वे की रिपोर्ट बता रही है कि बिहार में खरीफ फसल के अंतर्गत 2022-23 और 2023-24 के बीच चावल का उत्पादन 21 प्रतिशत और गेहूं का उत्पादन 10.7 प्रतिशत बढ़ा। वहीं 2020-21 से 2023-24 के बीच मक्का उत्पादन 66.6 प्रतिशत बढ़ा था। 2022-23 और 2023-24 के बीच बागवानी में आम का कुल उत्पादन 9.7 प्रतिशत बढ़ा है। लीची के बागानों का क्षेत्रफल छह प्रतिशत बढ़ा है, जबकि उत्पादन 11.7 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2023-24 में 27.8 हजार हेक्टेयर जमीन पर मखाना की खेती हुई है और देश के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत, यानी करीब 56.4 हजार टन मखाना का उत्पादन बिहार में ही हुआ है।
बिहार की अर्थव्यवस्था में तेज़ी से विस्तार उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के द्वारा पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) मौजूदा मूल्यों पर 8,54,429 करोड़ रुपये और 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर 4,64,540 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जिसमें तृतीयक (सेवा) क्षेत्र का योगदान 58.6% है। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बीते वर्षों में बिहार की अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि देखी गई है। 2011-12 में 2.47 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था 2023-24 में बढ़कर 8.54 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जो 3.5 गुना विस्तार को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि राज्य के कर राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2023-24 में कर राजस्व 1,61,965 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बना।
कृषि और बागवानी क्षेत्र में धान और गेहूं उत्पादन में हुई वृद्धि आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 से 2023-24 के बीच चावल उत्पादन 21% और गेहूं उत्पादन 10.7% बढ़ा। मक्का उत्पादन में 2020-21 से 2023-24 के बीच 66.6% वृद्धि हुई। सम्राट चौधरी ने बताया कि बागवानी क्षेत्र में भी सुधार हुए हैं। उन्होंने कहा कि आम उत्पादन में 9.7% और लीची उत्पादन में 11.7% की वृद्धि दर्ज की गई। लीची के बागानों का क्षेत्रफल 6% बढ़ा, जिससे इस क्षेत्र में विस्तार हुआ।
ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और सामाजिक सेवाओं में निवेश 2022-23 में बिहार ने 4,034 मिलियन यूनिट (MU) का ऊर्जा अधिशेष दर्ज किया। 2017-18 से 2023-24 के बीच पीक डिमांड 1.4 गुना और बिजली आपूर्ति 1.5 गुना बढ़ी। पिछले 18 वर्षों में सामाजिक सेवाओं पर खर्च 13 गुना बढ़ा है, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 यह दर्शाता है कि बिहार की अर्थव्यवस्था ने बीते वर्षों में तेजी से प्रगति की है। कृषि, बिजली, और सामाजिक सेवाओं में सुधार से राज्य की आर्थिक स्थिरता को मजबूती मिली है। आगामी बजट से जनता को अधिक रोजगार, बेहतर बुनियादी ढांचा और आर्थिक सुधारों की उम्मीद है
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जीतन राम मांझी ने कहा कि हमलोग बाबा साहब को मानने वाले लोग हैं। बाबा साहब ने कहा था कि हम गरीबों का मानदंड यह नहीं है कि हम भूखे और हम अंगूठा छाप हैं। हमलोग पढ़े लिखे लोग नहीं है। हमलोगों में यही कमी है। इसलिए हमें हर हाल में साक्षर होना पड़ेगा
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