हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कल यानी 9 फरवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. आइए जानते हैं कि माघ माह के आखिरी प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें और शिव पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा


हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व मिलता है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा बरसती है, जिसके कारण जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. एक महीने में 2 प्रदोष व्रत किए जाते हैं.

 

इस दिन सुबह से शाम तक व्रत किया जाता है और प्रदोष काल में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. कल यानी 9 फरवरी को माघ माह की आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं रवि प्रदोष व्रत में शुभ मुहूर्त क्या रहेगा, पूजा विधि क्या है और रवि प्रदोष व्रत रखने से क्या लाभ मिलता है.

माघ माह का आखिरी प्रदोष व्रत

पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 10 फरवरी को शाम 6 बजकर 57 मिनट पर होगा. ऐसे में 9 फरवरी को माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. यह प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है.

 

रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

रवि प्रदोष व्रत में शिव पूजा का मुहूर्त 9 फरवरी की शाम 7 बजकर 25 मिनट से लेकर 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. यह प्रदोष काल समय है और इसी समय में प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है.

रवि प्रदोष व्रत का महत्व

रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ सूर्यदेव की भी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि रवि प्रदोष व्रत के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से करियर में तरक्की मिल सकती है और जीवन में सुखद परिणाम प्राप्त होते हैं.

शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखने से रोग और दोषों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, धन-संपत्ति की भी प्राप्त होती है. इसके अलावा, प्रदोष व्रत के दिन दान-पुण्य करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें?

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.

स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें.

इसके बाद पूजा घर की अच्छे से सफाई करें और गंगाजल छिड़कें.

फिर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.

इसके बाद शिव परिवार की पूजा विधि विधान से करें.

भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें.

फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें.

पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें.

आरती के बाद शिव चालीसा का पाठ जरूर करें

इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.

प्रदोष के दिन शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?

प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का पंचामृत जिसमें दूध,दही,घी,शहद और गुड़ होता है, से अभिषेक करना चाहिए. प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, फल, फूल, धूप-दीप और नौवैद्य चढ़ाना चाहिए.

रवि प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए?

प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है. प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. आप प्रदोष व्रत में पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं.

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