एटा लोकसभा सीट पर हाथी की मंद चाल दिल्ली का सफर तय नहीं कर पाई।इस सीट पर बसपा प्रत्याशी की जमानत भी जब्त हो गई।


उत्तर प्रदेश के एटा लोकसभा क्षेत्र में हाथी की मंद चाल दिल्ली का सफर तय नहीं कर सकी। चुनावी चौसर पर बसपा की दलित मुस्लिम गठजोड़ की गोट एटा लोकसभा में फिर से पिट गई। 2014 के चुनाव के सापेक्ष बसपा प्रत्याशी मात्र आधे ही वोट प्राप्त कर सके। उनके हिस्से में 7.11 प्रतिशत वोट ही आए। यहां इसकी जमानत तक जब्त भी हो गई। दलित राजनीति को लेकर वर्ष 1984 में बसपा का उदय हुआ। 

पार्टी ने वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में सबसे पहले एटा सीट से प्रत्याशी उतारा। 1989 से लेकर 2024 तक 10 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें से बसपा ने नौ चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारे। इस लोकसभा क्षेत्र में बसपा का वोट कभी भी स्थिर नहीं रहा। इस सीट से बसपा ने दलित प्रत्याशी के अलावा लोधी, यादव, मुस्लिम, शाक्य जाति के प्रत्याशियों पर दाव खेला, लेकिन बसपा को दिल्ली की मंजिल तक कोई नहीं पहुंचा सका।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी इरफान अहमद पर दांव खेला, लेकिन इस चुनाव में बसपा अपने परंपरागत दलित वोट को भी अपने पक्ष में खड़ा नहीं कर सकी। दलित वोट में सपा ने सेंध लगा दी, जिससे अच्छी संख्या में दलित वोट सपा के पाले में चला गया। मुस्लिम मतदाताओं ने भी बसपा का साथ नहीं दिया।

अधिकतर मुस्लिम मतदाताओं का रुझान सपा प्रत्याशी के पक्ष में रहा। बसपा का जनाधार इस चुनाव में बुरी तरह खिसक गया। बसपा को सबसे कम 5.82 प्रतिशत वोट एटा में तो सबसे अधिक 8.01 प्रतिशत वोट अमांपुर में मिले। कासगंज में 7.83 प्रतिशत, पटियाली में 7.15 प्रतिशत, मारहरा में 6.67 प्रतिशत वोट बसपा के हिस्से में आए। इसके चलते बसपा प्रत्याशी यहां अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।

एटा लोकसभा में बसपा को मिले वोट का प्रतिशत-

  • वर्ष -प्रत्याशी- वोट प्रतिशत
  • 1989- राधेश्याम - 3.40 प्रतिशत
  • 1991- राधेश्याम - 7.60 प्रतिशत
  • 1996- कैलाश यादव - 19.50 प्रतिशत
  • 1998 -रघुनाथ सिंह लोधी - 9.23प्रतिशत
  • 1999- सेठ सुल्तान अहमद - 17.38 प्रतिशत
  • 2004- रामगोपाल शाक्य - 9.68 प्रतिशत
  • 2009 - देवेंद्र सिंह यादव - 26.00 प्रतिशत
  • 2014- नूर मुहम्मद- 14.6 प्रतिशत
  • 2019- सपा से गंठबंधन- प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरा
  • 2024-मोहम्मद इरफान - 7.11 प्रतिशत

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