दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में एक नई दिल्ली सीट बेहद महत्वपूर्ण है। यह निर्वाचन क्षेत्र वर्ष 1951 में अस्तित्व में आया था, यानी दिल्ली का सबसे पुराना लोकसभा क्षेत्र हैं। यहीं पर राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, इंडिया गेट, उच्चतम न्यायालय जैसी महत्वपूर्ण इमारतें हैं।
दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में एक नई दिल्ली सीट बेहद महत्वपूर्ण है। यह निर्वाचन क्षेत्र वर्ष 1951 में अस्तित्व में आया था, यानी दिल्ली का सबसे पुराना लोकसभा क्षेत्र हैं। यहीं पर राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, इंडिया गेट, उच्चतम न्यायालय जैसी महत्वपूर्ण इमारतें हैं।राष्ट्रीय भवन संग्रहालय, अमृत उद्यान जैसे दर्शनीय स्थल भी यहीं हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय का साउथ कैंपस, दिल्ली हवाई अड्डा भी इसी लोस क्षेत्र में आता है। यहां से भाजपा और आइएनडीआइ गठबंधन के तहत आप के प्रत्याशी में सीधा मुकाबला है।
दोनों ही दलों के प्रत्याशी वकील हैं और इन के भविष्य का फैसला नई दिल्ली लोस क्षेत्र के मध्य वर्ग के हाथों में है, क्योंकि इस क्षेत्र इनकी बड़ी आबादी है। 25 मई को करीब 15 लाख मतदाता अपना सांसद चुनेंगे।
1) नई दिल्ली सीट पर दो वकीलों के भविष्य का होगा फैसला
विदेश मंत्री रहीं दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज की पुत्री और पेशे से वकील हैं। उनका चुनाव अभियान शानदार रहा है और प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी के साथ चुनाव मैदान मेंे हैं
कमजोर पक्ष
पहली बार कोई चुनाव लड़ रही हैं, वह भी लोकसभा चुनाव।
सोमनाथ भारती, आप प्रत्याशी (Somnath Bharti, AAP Candidate)
मजबूत पक्ष
इसी लोकसभा के मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक चुने गए हैं और दिल्ली में सत्ताधारी दल के बड़े नेता और पेशे से वकील हैं।
कमजोर पक्ष
आम आदमी पार्टी में स्टार प्रचारकों की कमी।
2) चांदनी चौक लोकसभा सीट
चांदनी चौक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वर्ष 1956 में अस्तित्व में आया। इस क्षेत्र में पुरानी दिल्ली का वह हिस्सा भी आता है, जिसे मुगलकालीन बसावट के लिए जाना जाता है। चांदनी चौक और सदर बाजार देश का प्रमुख थोक बाजार है तो मटियामहल और बल्लीमारान मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। इसी क्षेत्र में लालकिला और जामा मस्जिद आती हैं।
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के साथ ही टाउन हाल भी इसी क्षेत्र में है। देश के सबसे पुराने और पहले निर्वाचन क्षेत्रों में से एक होने के नाते चांदनी चौक से राधा रमण, सिकंदर बख्त, विजय गोयल, कपिल सिब्बल और डा. हर्षवर्धन जैसे प्रमुख राजनेताओं ने चुनाव लड़ा। चांदनी चौक में वर्ष 1957 से लेकर वर्ष 2014 तक कुल 15 लोस चुनाव हो चुके हैं। उनमें से कांग्रेस पार्टी अब तक नौ बार जीत चुकी है, वहीं भाजपा चार बार जीत चुकी है।
काफी पहले चुनाव अभियान आरंभ किया, व्यापारियों में लोकप्रिय और मोदी की गारंटी
कमजोर पक्ष
पहली बार लोकसभा के चुनावी मैदान, मुख्य धारा की राजनीति का कम अनुभव
जय प्रकाश अग्रवाल, कांग्रेस प्रत्याशी (Jai Prakash Aggarwal, Congress candidate)
राजनीतिज्ञ हैं, एमसीडी से लेकर लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते, राज्यसभा सदस्य रहे।
मजबूत पक्ष
इस बार अपना 12वां चुनाव लड़ेंगे, क्षेत्र के लोगों से पुराना नाता, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता।
कमजोर पक्ष
कार्यकर्ताओं की कमी और आम आदमी पार्टी पर निर्भरता।
3) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट
राजधानी के सबसे पुराने संसदीय क्षेत्रों में एक उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है। वर्ष 1952 में यह लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी। उस समय इस संसदीय क्षेत्र को बाहरी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। यहां से सांसद रहे डा. ब्रह्म प्रकाश और साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं।
यहां राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, रोहिणी फोरेंसिक लैब, दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एनआइटी दिल्ली जैसे संस्थान हैं। दिल्ली-एनसीआर का सबसे बड़ा संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर इसी क्षेत्र में हैं। इस बार यहां पर भाजपा से पहली बार योगेंद्र चांदोलिया सांसद बनने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस (आइएनडीआइ गठबंधन) ने उदित राज को मैदान में उतारा है। उदित राज पूर्व में यहां से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में इस बार मुकाबला कड़ा माना जा रहा है। 24.72 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर पूर्वांचली एवं ग्रामीण अंचल के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
भाजपा दिल्ली में प्रदेश महामंत्री के पद काम कर रहे हैं, संगठन के कामों में मजबूत पकड़ रखते हैं
मजबूत पक्ष
क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की मतबूत पकड़ हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के साथ चुनाव मैदान में हैं
कमजोर पक्ष
पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं
डा. उदित राज, कांग्रेस प्रत्याशी (Dr. Udit Raj, Congress candidate)
भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी रहे हैं, सेवानिवृत्त के बाद राजनीति में आए, वर्ष 2014 चुनाव में भाजपा से सांसद थे
मजबूत पक्ष
2014 में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र से सांसद रहे,क्षेत्र के लिए परिचित चेहरा
कमजोर पक्ष
टिकट के बाद पार्टी के कुछ नेताओं में नाराजगी
4) पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट
पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र औद्योगिक, व्यावसायिक और अध्यात्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पटपड़गंज, फ्रेंड्स कालोनी, झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र इसका हिस्सा है। गाजीपुर फूल, सब्जी, मुर्गा-मछली मंडी, लक्ष्मी नगर, कृष्णा नगर, रमेश पार्क, गांधी नगर समेत कई व्यावसायिक इलाके आते हैं।
यमुना के पास अक्षरधाम मंदिर, तो यमुना पार करके हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह आस्था का केंद्र है। ये लोकसभा क्षेत्र वर्ष 1966 में अस्तित्व में आया। पहला चुनाव 1967 में हुआ था। यहां अब तक 15 बार चुनाव हो चुके हैं।
भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी के खाते में एक-एक बार सीट आई। सात बार भाजपा का परचम लहरा। छह बार कांग्रेस से सांसद बने। उप्र, उत्तराखंड, बिहार व दक्षिण भारत की मिश्रित आबादी वाले इस क्षेत्र में मतदाता भी हर वर्ग के हैं। यहां भाजपा व आप में मुकाबला है।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर रह चुके हैं, क्षेत्र की बेहतर समझ। एलएलबी कर रखी है, हर विषय की अच्छी समझ है। मिलनसार स्वभाव का भी उन्हें चुनाव में लाभ मिल रहा है।
कमजोर पक्ष
पिछले कई सालों से सीधे तौर पर लोगों से जुड़ाव नहीं रहा
कुलदीप कुमार, आप प्रत्याशी (Kuldeep Kumar, AAP candidate)
मजबूत पक्ष
वर्तमान में कोंडली से विधायक हैं, इससे पहले कल्याणपुरी से पार्षद रहे। मिलनसार व्यवहार, लोगों की आवाज उठाते रहे हैं। मिलनसार स्वभाव है
कमजोर पक्ष
बीए द्वितीय वर्ष तक पढ़े हैं, पूर्ण ग्रेजुएट नहीं
5) पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट
सुनियोजित उपनगरी द्वारका और घनी आबादी वाली अनियोजित कालोनियों को समेटे पश्चिमी दिल्ली लोस क्षेत्र वर्ष 2008 में अस्तित्व में आया। परिसीमन में तब की दक्षिणी एवं बाहरी दिल्ली के कुछ हिस्सों को मिलाकर यह लोस क्षेत्र बना था। इस सीट का हरियाणा से सटा बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र है, जोकि जाट और यादव बहुल है।
यहां कई अनियोजित कालोनियां हैं, जिनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के लोग रहते हैं। द्वारका में देश के कई राज्यों से आए लोग रहते हैं। जनकपुरी, विकासपुरी, तिलक नगर, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन पंजाबी एवं सिख बहुल है। पिछले लोस चुनाव में इस सीट के अंतर्गत आने वाले 10 विस क्षेत्रों में भाजपा को बड़ी बढ़त मिली थी।
आप-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के लिए बढ़त का अंतर खत्म करने के लिए सभी समुदाय और वर्गों का भरोसा जीतना तो भाजपा के लिए उसे बरकरार रखना चुनौती है। इस सीट पर भाजपा और आप-कांग्रेस गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है।
पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट के गठन के बाद यहां हुए चुनाव में निर्वाचित हुए पहले सांसद
मजबूत पक्ष
हार हो या जीत, जनता के बीच हमेशा रहे मौजूद रहते हैं, लोस चुनाव लड़ने का अनुभव
कमजोर पक्ष
लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार से हार रहे हैं
6) दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट
लोकसभा सीट को राजधानी का सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र माना जाता है। वर्ष 1966 में अस्तित्व में आया यह निर्वाचन क्षेत्र पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। इस लोकसभा क्षेत्र से चार बार कांग्रेस ने चुनाव जीता है, जबकि सात बार भाजपा प्रत्याशियों ने यहां से जीत दर्ज की है।
इस सीट से से भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज, मदनलाल खुराना, विजय कुमार मल्होत्रा और पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि इस क्षेत्र में लोगों के लिए यातायात जाम एक बड़ी समस्या हैं। सड़कों की हालत भी ठीक नहीं हैं और पार्किंग की किल्लत एक बड़ी परेशानी है, जिनसे इस लोकसभा क्षेत्र के रहने वाले परेशान हैं और समाधान चाहते हैं।
रामवीर सिंह बिधूड़ी, भाजपा प्रत्याशी (Ramvir Singh Bidhuri)
पेशे से किसान व उद्योगपति
मजबूत पक्ष
मुखर वक्ता और राजनीति का 50 साल से अधिक का अनुभव।
चार बार बदरपुर विधानसभा से विधायक चुने गए और वर्तमान में दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह बिधूड़ी की तुलना में राजनीति का कम अनुभव
7) उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा अस्तित्व में आई। इस लोकसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले लोगों की संख्या अधिक है। प्रशासनिक दृष्टि से तीन जिलों के अधीन आती हैं। हालांकि सीलमपुर, बाबरपुर और मुस्तफाबाद जैसी विधानसभा मुस्लिम बहुल हैं। अभी तक इस लोकसभा क्षेत्र पर तीन आम चुनाव हुए हैं।
जहां एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। इस लोकसभा क्षेत्र ज्यादातर विधान सभाएं अनधिकृत कालोनियों वाली है। जहां सड़क, पार्क, सामुदायिक भवन, पार्किंग, अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। इस बार के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ने मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) को तीसरी बार मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को मैदान में उतारा है।
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इनमें से कोई दस्तावेज दिखाकर डाल सकेंगे वोट
उन्होंने कहा कि फोटो मतदाता पहचान पत्र नहीं होने वाले मतदाताओं को मतदान करने के लिए चुनाव आयोग ने कई वैकल्पिक पहचान पत्र से मतदान करने की सुविधा दी है। इनमें-
आधार कार्ड
पैन कार्ड
दिव्यांग यूनिक
आईडी कार्ड
ड्राइविंग लाइसेंस
मनरेगा जॉब कार्ड
पें
इनमें से कोई दस्तावेज दिखाकर डाल सकेंगे वोट
उन्होंने कहा कि फोटो मतदाता पहचान पत्र नहीं होने वाले मतदाताओं को मतदान करने के लिए चुनाव आयोग ने कई वैकल्पिक पहचान पत्र से मतदान करने की सुविधा दी है। इनमें-
आधार कार्ड
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दिव्यांग यूनिक
आईडी कार्ड
ड्राइविंग लाइसेंस
मनरेगा जॉब कार्ड
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